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उषा नगर इंदौर वर्षावास 2023

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ 467, उषा नगर इंदौर

भव्य आखातीज पारणा महोत्सव

*श्री सकल जैन श्रीसंघ खरगोन नगरे*‼ 18 अप्रेल 2018 बुधवार ‼?​पावन सानिध्य -: ?‼ *​अभिग्रहधारी उग्रविहारी तपकेसरी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित वर्तमान के गुरूवेणी* *पु.श्री राजेश मुनि जी म.सा*.​ *​?सेवाभावी पु.श्री राजेंद्र मुनि जी म.सा​* आदि ठाणा संत – सतीवन्द *निवेद्क* श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रीसंघ खरगोन ( म. प्र.)   —————————

न्यूज़

अभिग्रहधारी उग्रविहारी तपकेसरी गोल्डन बुक ऑफ वल्ड से सम्मानित परम् *पूज्य गुरुदेव श्री राजेश मुनि जी म.सा* आपको 17 वें संयम दिवस के शुभअवसर पर हार्दिक अभिनंदन​ , वन्दन करते है । हम सभी ​शत् शत् नमन वंदन करते है।​ *​सुखसाता पुछते है​* आप हमेशा स्वस्थ रहे और जिनशासन की प्रभावना करे यही मंगलकामना करते […]

1⃣4⃣1⃣0⃣वा अभिग्रह

*1⃣4⃣1⃣0⃣वा अभिग्रह* 25/12/17 *​पूज्य गुरुदेव तपकेसरी महाअभिग्रहधारी श्री राजेश मुनिजी म .सा . जी का आज का 1410 वा अभिग्रह​* डा. साहब के मना करने के बाद भी म सा जी ने बेला किया और अपनी साधना को निरन्तर चालु रखा *धन्य है आप जेसे साधु और आप की अभिग्रह की साधना को नमन*

चातुर्मास सिंगोली श्रीसंघ को मिला

29 अप्रैल आखा तीज पारणा कार्यक्रम में सिंगोली श्री संघ को ??पूज्य गुरुदेव महाअभिग्रह्धारी उग्र विहारी “तप केसरी” गोल्डन बुक से सम्मानित श्री राजेश मुनि जी मा.सा. ने ठाणा 2 चातुमास की स्वकृति दी । इस अवसर पर सिंगोली से संघ मंत्री चन्द्रकान्त मेहता व मनोज मेहता , राकेश मेहता उपस्थित थे। नीमच से सिंगोली […]



जानिए जैन धर्म को

पुराने समय में तप और मेहनत से ज्ञान प्राप्त करने वालों को श्रमण कहा जाता था। जैन धर्म प्राचीन भारतीय श्रमण परम्परा से ही निकला धर्म है। ऐसे भिक्षु या साधु, जो जैन धर्म के पांच महाव्रतों का पालन करते हों, को ‘जिन’ कहा गया। हिंसा, झूठ, चोरी, ब्रह्मचर्य और सांसारिक चीजों से दूर रहना इन महाव्रतों में शामिल हैं। जिन समुदाय के संयुक्त रूप को नाम मिला जैन धर्म का।

कौन हैं जैन

‘जिन’ के अनुयायियों को जैन कहा गया है। यह धर्म अनुयायियों को सिखाता है कि वे सत्य पर टिकें, प्रेम करें, हिंसा से दूर रहें, दया-करुणा का भाव रखें, परोपकारी बनें और भोग-विलास से दूर रहकर हर काम पवित्र और सात्विक ढंग से करें। मान्यता है कि जैन पंथ का मूल उन पुरानी परम्पराओं में रहा होगा, जो इस देश में आर्यों के आने से पहले प्रचलित थीं। यदि आर्यों के आने के बाद से भी देखें तो ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परम्परा वेदों तक पहुंचती है। महाभारत के समय इस पंथ के तीर्थंकर नेमिनाथ थे।

राजेश मुनि जी के बारे मे

पू. राजेश मुनिजी म.सा. में बचपन से ही धार्मिक संस्कार रहे है , जो इन्हे अपने दादाजी – दादीजी श्री बाबुलाजी -स्व . श्रीमती कमला बाई ककल्या एवं माताजी श्रीमती पारस बाई – स्व. ललितकुमारजी ककल्या से प्राप्त हुए है । आपका जन्म नाम “खूबचंद” था I असमय पिता का देवलोकगमन होने से से धर्म के प्रति आपकी श्रद्धा बढ़ी । वर्त्तमान में आपके सांस्कारिक परिवार में दो भाई – भाभी श्री मिलापचंद्र- सौ. सुनीता ककल्या एवं श्री तेजपाल – सौ प्रीति ककल्या है । आपके तीन भतीजे विशाल , प्रियांश एवं संभव ककल्या है।

  • जन्म दिनांक : २७/१२/१९७३
  • किस शहर से थे: खरगोन
  • पिता: ललित कुमार जी ककल्या
  • माता: पारस बाई
  • दीक्षा किस के द्वारा हुई: उमेश मुनिजी
  • गुरु: कान मुनिजी
  • दीक्षा शहर में हुई: बड़वाह
  • जन्म स्थान: इच्छापुर, खरगोन
  • दीक्षा की तारीख: ७/२/२००१
  • भाई: मिलाप चन्द्र जी ककल्या
  • भाभी: सुनीता ककल्या
  • भाई: तेजपाल जी ककल्या
  • भाभी: प्रीति ककल्या
  • योग्यता: एम.एस.सी.
  • अभिग्रह: २००५ से आज दिनाक तक जारी (११४८ अभिग्रह और जारी)
  • तपस्या: बेले-बेले अभिग्रह
    • मास खमण (इंदौर)
    • धर्म चक्र
    • एक वर्ष: तेले-तेले तपस्या
    • आठ महीने: एक महीने एक तेला
    • चौहियार, अठाई: जावरा में
  • सहयोगी: राजेंद्र मुनिजी
  • अधिकतम विहार: सूर्योदय से सूर्यास्त (६७ किलोमीटर एक दिन में )
  • विचरण: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र

अभी तक दी गयी पदवियाँ

  • बड़वाह संघ द्वारा “वर्धमान के वर्धमान ” सन २००८
  • जावरा में सन २००९ में तरुणतापाचार्य
  • जावरा में सन २००९ में तरुणतापाचार्य
  • जावरा में सन २००९ में तरुणतापाचार्य
  • इंदौर में सऩ् २०११ में सवयं शिरोमणि
  • शहादा में सऩ् २०१४ में नवकार मन्त्र जाप आचार्य
  • रतलाम में सऩ् २०१५ में तपकेशरी

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